धर्मेन्द्र कुमार गोंड, असिस्टेंट प्रोफेसर ने सम्मान प्राप्त करने के उपरांत समाजहित एक्सप्रेस को अपने विचार व्यक्त किये

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l दक्षिण भारत के कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरु में गोपाल किरन समाजसेवी संस्था, ग्वालियर की ओर से आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह मे शिक्षा,सेवा एवं समाज के विभिन्न क्षेत्रो में उत्कृष्ट कार्यों द्वारा प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को सम्मान पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया । इस समारोह में धर्मेन्द्र कुमार गोंड, असिस्टेंट प्रोफेसर, ईटानगर अरुणाचल प्रदेश को भी शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए इंटरनेशनल सिंबल ऑफ़ नॉलेज डॉ. बी.आर. अम्बेडकर आइडल अवार्ड से सम्मानित किया गया l
सम्मान प्राप्त करने के उपरांत धर्मेन्द्र कुमार गोंड, असिस्टेंट प्रोफेसर ने समाजहित एक्सप्रेस के संपादक रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया से बातचीत के दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि मुझे इतना सम्मान और यह विशेष पुरस्कार देने के लिए प्रतिष्ठित गोपाल किरन समाजसेवी संस्था के वरिष्ठ अधिकारियों को धन्यवाद । मैं अभिभूत और भावुक महसूस कर रहा हूं और मेरे पास शब्द नहीं हैं, यह मेरे जीवन का एक बहुत ही खास पल है ।
शिक्षण को हमेशा एक निस्वार्थ पेशा माना जाता है, जब किसी संस्था द्वारा शिक्षकों को विशेष सम्मान से सम्मानित करते हैं तो यह वास्तव में हमारे विश्वास को मजबूत करता है और अच्छा काम जारी रखने के लिए हमारे मनोबल को बढ़ाता है । शैक्षणिक पटल पर गोपाल किरण समाज सेवी संस्थान ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्तियों को सामाजिक पटल पर स्थान देने के लिए विगत तीन दशकों (37 वर्षों) से निरंतर प्रयासरत है, जो सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक रूप से पिछड़े है ।
“शिक्षा केवल शिक्षक के द्वारा ही दी जा सकती है, शिक्षण विधि के द्वारा नहीं!”
शिक्षक में सेवा, त्याग, सहयोग, लगन, प्रसन्नता, कर्तव्यपरायणता आदि गुण होना बेहद आवश्यक है, जिससे विद्यार्थी प्रभावित हो सकें । शिक्षक को गुणवत्ता युक्त शिक्षा का ज्ञान होना चाहिये, जिसके आधार पर वह विद्यार्थियों के अंदर छिपी प्रतिभाओं को पहचान सके, तथा उनके महत्व को समझ सके ।
मानव समाज का एक वर्ग शिक्षा समझ और ज्ञान से संपूर्ण ब्रह्माण्ड को नियंत्रित करता हैं किन्तु दूसरा वर्ग संकीर्णता से हर कार्य को दिशाविहीन कर देता हैं । सांप्रदायिकाता और कट्टरता किसी भी समाज में कोढ़ की भाँति प्रतीत होती है जो धीरे- धीरे समाज को समूलतः नष्ट कर देती है । किसी जाति धर्म और मज़हब के प्रति आपका एकतरफ़ा नजरिया आपके बीमार मानसिकता का परिचय कराती है ।
“सांप्रदायिकता, कट्टरता और इसके भयानक वंशजों के धार्मिक हठ ने लंबे समय से इस खूबसूरत धरती को जकड़ रखा है । उन्होंने इस धरती को हिंसा से भर दिया है और कितनी ही बार यह धरती खून से लाल हो चुकी है । न जाने कितनी सभ्याताएँ तबाह हुईं और कितने देश ।”
शिक्षा के बावजूद यदि आप धर्म जाति और मज़हब में अंतर देखते हैं । इन सब चीजों को बढ़ावा देते हैं । खुद के जाति धर्म और मजहब को श्रेष्ठ और दूसरों को नीच समझते हैं तो खुद को शिक्षित कहना छोड़ दीजिये । अपनी जातीयता और धार्मिकता पर गर्व करना भी एक तरह से मानसिक रूप से बीमार होने की निशानी है ।
शिक्षा में गुणवत्ता तभी संभव है जब एक शिक्षक जाति, धर्म, मज़हब से उपर उठकर समाज के हर बच्चों को गले लगाएगा । समानता को स्थापित करना एक शिक्षक का दायित्व ही नही बल्कि उसकी नैतिक जिम्मेदारी है । हम सभी शिक्षक मन कर्म और वचन से यह संकल्प ले कि जहाँ भी कार्यरत है वहाँ निष्ठापूर्वक अपने दायित्वों को निर्वाह करेंगे, तथा इस राष्ट्र के शैक्षणिक विकास में अपना अतुलनीय योगदान देंगे ।
इस एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में देश के हर कोने से विद्वानों का आगमन एवं मिलन हुआ । मैं पुनः गोपाल किरण समाज सेवी संस्थान के सभी पदाधिकारियों एवं इसके संस्थापक माननीय श्रीप्रकाश सिंह निमराजे सर को तहे दिल से आत्मिक आभार व्यक्त करता हूँ ।