रैगर समाज के पास आज सब कुछ होते हुए, समाज की जो पहचान होनी चाहिए थी वो क्यों नहीं है ?
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l एक गाँव में रैगर समाज के प्रबुद्ध लोग सभा कर समाज विकास पर चर्चा कर रहे थे तभी समाज में से एक होनहार युवक खड़ा हुआ और उनसे पूछना शुरू किया कि हमारे रैगर समाज में आज शिक्षित लोग भी है, तेजतर्रार भी है, हुनरबाज भी है, संस्कारी और समझदार भी है, धनी, दानी और ज्ञानी भी है, सब कुछ होते हुए फिर भी………रैगर समाज का वह रुतबा, वह पहचान नहीं है जो होनी चाहिए थी l क्यों? और क्या कारण है? मुझे कोई इस बारे में बताएं l
सभा में सन्नाटा छा गया किसी के पास कोई जवाब नहीं था l तभी उन प्रबुद्ध लोगो के बीच से एक वृद्ध खड़ा हुआ और बोला कि- रैगर समाज संगठित नहीं है,- स्व-अस्मिता, स्वाभिमान नहीं है,- अपने इतिहास की जानकारी नहीं है,- अपने इतिहास पर नाज नहीं है,- अपने रैगर होने पर नाज नहीं है,- मार्गदर्शित करनेवाली व्यवस्था नहीं है,- समस्त समाज का प्रतिनिधि कहलाये ऐसा कोई संगठन नहीं है,- समाज के भविष्य के बारे में कोई योजना नहीं है,- संगठनों का रैगर समाज की संस्कृति को बचाने पर ध्यान नहीं है,- समाज की परम्पराओं को निभाया जाए इस पर ध्यान नहीं है,- रैगर समाज की संस्कृति की जानकारी नई पीढ़ी को मिले ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है,- समाज के गौरवचिन्हों की, समाज के गौरवस्थानों (समाज में जन्मे महापुरुषों) की समाज को जानकारी नहीं है, इसकी जानकारी समाज को दे ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, परिणामतः समाज के सामने कोई प्रेरणास्त्रोत नहीं है,- समाज में एक-दूजे के प्रति कोई अपनापन नहीं है, समाज में वास्तविक एकता की कमी है; आगे बढ़ने-बढ़ाने के लिए एक-दूजे का भरपूर सहयोग करें इस भावना की कमी है,- व्यापार-उद्योग में समाजबंधुओं को आपसी सहयोग का लाभ मिले, व्यापार-उद्योग में परंपरागत रूप से चला आया समाज का दबदबा (रुतबा) कायम रहे इसके लिए संगठनों के पास कोई दीर्घकालीन योजना, कोई ठोस कार्यक्रम, कोई स्थाई व्यवस्था नहीं है l
होनहार लड़के ने वयोवृद्ध का धन्यवाद करते हुए कहा कि आपने मेरे सवाल का सटीक उतर देकर मेरे मन को संतुष्ट किया मैं आपको बारम्बार नमन करता हूँ l लेकिन मेरा एक छोटा सा सवाल और है कि मेरी माँ को पता नहीं कि कितने लोग खाना खाने वाले है वो कैसे खाना तैयार करे ?
भरी सभा में फिर सन्नाटा छा गया सभी एक दुसरे की शक्ल की ओर देखने लगे l फिर से वही वृद्ध खड़ा हुआ और बोला कि बेटा आपको जन्म देकर आपकी माँ धन्य हो गई l आपकी बात मेरे समझ में आ गई हम समाज विकास की बात कर रहे थे लेकिन हम सब को पता ही नहीं कि हम कितने है हमारी जनसख्या कितनी है? जब हमे पता ही नहीं तो किसका विकास करेंगे? आपने बेटा हमारी आँखे खोल दी हम आज से अपना आलस्य छोड़कर रैगर समाज की गणना करके अपने जागरूक होने का परिचय देंगे l समाज में जब लोगो की गणना होगी तो सरकार को भी हमारी आबादी के विकास की चिंता होगी क्योंकि उसको हमारे वोट जो चाहिए l भाइयो जाओ अपने अपने क्षेत्र की गणना करके लाओ तभी हमारी जात-माता हमारे विकास हेतु खाना बना पायेगी l
देश में तेजी से आर्थिक और सामाजिक बदलाव हो रहे है l यही समय है कि भविष्य में रैगर समाज के अस्तित्व को, रुतबे को कायम रखने और बढ़ाने के लिए हम सभी को जाग जाना चाहिए l यही समय है कि समाजबंधुओं की प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए कार्य करने की दिशा में ठोस और स्थायी योजना बनाकर तत्परता से उसपर कार्य किया जाना चाहिए l समय किसी के लिए रुकता नहीं है, समय बीत जाने के बाद सिवाय पछतावे के कुछ नहीं बचता है l