डॉ. महेंद्र नारायण पंकज जी के निधन से साहित्य जगत में छाई शोक की लहर। बीत गया “पंकज जी”के रूप में एक पहर ।।
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l अंतर्राष्ट्रीय जन लेखक संघ के संस्थापक और पूर्व महासचिव, अब सह महासचिव, डॉक्टर महेंद्र नारायण पंकज जी का निधन साहित्य जगत के लिए दुखद और अपूरणीय क्षति है। इस दुखद समाचार से साहित्य जगत में छाई शोक की लहर। उनका साहित्य प्रेम हम सभी के ह्रदय में सदैव जीवित रहेगा।
कवि सुरेन्द्र आज़ाद’झनूण’ राज्य सचिव जन लेखक संघ राजस्थान से प्राप्त जानकारी के मुताबिक इनका जन्म ग्राम भतनी, थाना कुमारखंड, मधेपुरा, बिहार में हुआ। इनकी कई प्रकाशित कृतियां है जिसमें कविता संग्रह युग-ध्वनि, कहानी संग्रह -अपमान, युद्ध, प्रबंध काव्य- क्रांतिवीर चंद्रशेखर आजाद ,रचना व्याकरण दोहावली, नूतन शब्द अनुशासन यह व्याकरण है। इन्होंने जन आकांक्षा और जन तरंग पत्रिकाओं का संपादन किया। आकाशवाणी भागलपुर से उनकी कथा का प्रसारण हुआ।
उद्भावना, उत्तरार्द्ध ,कथाबिंब, शेष,वर्तमान साहित्य, आर्यावर्त,आज, कला आदि पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई । इन्हें 2004 में उत्तरांचल के शिक्षा मंत्री द्वारा भारतेंदु हरिश्चंद्र अलंकरण से सम्मानित किया गया। 2009 में बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री द्वारा राजकीय शिक्षक सम्मान दिया गया।तथा 2010 में महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से भी नवाजा गया।
इन्होंने शिक्षा में एम.ए., बी.टी.साहित्य आचार्य किया और बिहार के विद्यालयों में अध्यापक पद पर कार्यरत रहे।अब सेवानिवृत होकर शोषण,पीड़ित,दलित समाज के लिए समाज हितैषी कविताएं और गद्य लेखन करते रहे । मैंने इन्हें जब -जब देखा तब -तब निश्छल, संवेदना,दया, करुणा, अहिंसा,अपनेपन व भाईचारे जैसे भावों से ओतप्रोत देखा। मुझे साहित्य क्षेत्र में प्रथम सम्मान भी इन्हीं की बदौलत मिला। महान् शख्शियत के सानिध्य में रहने का मुझे सौभाग्य मिला।
कवि सुरेन्द्र आज़ाद’झनूण’ ने कहा ‘वो एक ऐसे बरगद थे जिसकी छांव में बैठने पर बहुत सुकून मिलता था।
डॉ. महेंद्र नारायण पंकज जी के निधन पर इन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि और कोटि-कोटि नमन।