Sunday 08 December 2024 8:29 AM
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बौद्धिक कौशल और त्‍याग की अद्भुत मिसाल है रैगर समाज ।

राजस्थान चर्म शिल्प कला विकास बोर्ड गठन की स्वीकृति प्रदान

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l  प्राचीन काल से ही रैगर समाज के लोगों ने सांस्‍कृतिक, राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में अपनी अमीट छाप छोड़ी है । रैगर जाति का इतिहास सदैव गौरवशाली रहा है । रैगर जाति में हेमाजी उजिपुरिया तथा वेणाजी कुंवरिया जैसे दानी हुए हैं जिन्‍होंने भीषण अकाल में गरीबों की मदद करके हजारों लोगों की जानें बचाई । रैगर जाति में नानकजी जाटोलिया जैसे भामाशाह हुए हैं जिन्‍होंने मुगलों के खिलाफ लड़ने के लिए जोधपुर दरबार अजीत सिंहजी को सोने की मोहरें तथा 80,000 रूपये दिए । विश्‍व-विख्‍यात पुष्‍करराज में प्रसिद्ध गऊघाट बद्री बाकोलिया ने बनवाया । इस जाति में हजारों शूरमा हुए हैं जिन्‍होंने युद्ध क्षेत्र में लड़ते हुए वीरगति प्राप्‍त की ।

रैगर जाति के इतिहास का मूल स्‍वरूप और सामाजिक-आर्थिक स्थिति का विश्‍लेषण करना जरूरी है l इस गंभीर विषय पर गहरे से चिन्‍तन-मनन करने की आवश्‍यकता है । रैगरों का पारम्‍परिक धंधा चमड़े की रंगाई करना था और चमड़े से राजस्थानी जूतियाँ बनाना रहा l उस जमाने में जुतिया ही हुआ करती थी l  आजकल की तरह विभिन्न किस्म के जूते नही हुआ करते थे । उस समय रैगरों ने चमड़े की रंगाई में आधुनिक तकनिक को नहीं अपनाया था और सरकार ने भी चमड़े रंगने में आधुनिक तकनिकी का प्रशिक्षण देने में इनकी तरफ कोई विशेष ध्‍यान नहीं दिया । कुछ अन्य समाज लोगो द्वारा एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत रैगरों को यह एहसास दिलाया गया कि आप जो काम कर रहे हैं वह गन्दा है, घृणित है । जिसका परिणाम यह हुआ बहुत सारे रैगर अपने पेशे से दूर होते गए और उनसे ये पुस्तैनी धंधा छूटता चला गया l पर विचारणीय बात यह है रैगरों द्वारा धंधा छोड़ देने से क्या ये धंधा बन्द हो गया? ऐसा नहीं हुआ l

आज जरा नजर उठा कर देखिये, चमड़ा उद्योग और मांस उद्योग का वार्षिक टर्न ओवर लाखों करोड़ों का नहीं बल्कि खरबों का है । आज यह व्यवसाय किस जाति के हाथ में है? आपकी हमारी आँखों के सामने रैगरों से उनकी आमदनी का स्रोत छीन कर व्यवसाय को गन्दा बताने वालो ने ही अपना लिया और हम उनकी यह चाल समझ नही पाये ।

इस विषय पर सोचने और विचार करने से पहले एक बार अपने समाज के सिर्फ पचास बर्ष पहले के इतिहास को याद कर लीजिये । राजस्थान में रैगर समाज के लोग चमड़े का कार्य करते हुए भी सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक स्थिति ठीक थी l विधानसभा में पांच विधायक और एक संसद सदस्य रैगर समाज के हुआ करते थे, तो वो स्थिति घोर दरिद्रता के काल में तो हो नहीं सकती थी l आज के परिवेश को देखते हुए उस समय रैगरों की स्थिति अन्य जातियों से अच्छी थी l

पिछले महीने अखिल भारतीय रैगर महासभा के राष्ट्रीय रैगर महासम्मेलन जयपुर में मुख्य अथिति अशोक गहलोत ने राजस्थान चर्म शिल्प कला विकास बोर्ड की घोषणा की थी उसके बाद गहलोत सरकार द्वारा राजस्थान चर्म शिल्प कला विकास बोर्ड को स्वीकृति प्रदान करने से चर्म व्यवसाय से संबंधित व्यक्तियों के जीवन स्तर में वृद्धि होगी एवं उनका आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सकेगा । इस बोर्ड के गठन से राज्य के औद्योगिक विकास में चर्मकारों की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित होगी । साथ ही, चर्मकारों के कार्यस्थल एवं विकास स्थल पर समस्त आधारभूत सुविधाओं तथा सड़क, पानी, बिजली, चिकित्सा, शिक्षा, उत्पादों के विपणन के लिए मार्केटिंग सेन्टर विकसित हो सकेंगे । चर्मकारों को आधुनिक तकनीक आधारित चर्म रंगाई एवं अन्य उत्पादों हेतु देश में प्रतिष्ठित संस्थाओं के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था भी की जा सकेगी ।

बोर्ड के माध्यम से चर्मकारों की सामाजिक सुरक्षा की योजनाऐं बनेंगी एवं उनका समयबद्ध क्रियान्वयन होगा । चर्मकारों के विकास के लिए समुचित वित्तीय सहयोग एवं बैंकों से वित्त का प्रबंध भी हो सकेगा । चर्म उत्पादों की सरकारी खरीद में निविदा प्रक्रिया से मुक्त रखने का कार्य भी बोर्ड द्वारा किया जा सकेगा । चर्म उत्पादों की खरीद व तकनीकी प्रोद्यौगिकी में सहयोग के अलावा फुटवियर निर्माण एवं चर्म उत्पादों को प्रोत्साहन मिलेगा । जिला/ राज्य स्तर पर सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन एवं उनके वित्तीय प्रबंधन से संबंधित कार्य किए जाएंगे । राजस्थान में पंजीकृत चर्म दस्तकार, बोर्ड में पंजीयन करवाकर योजनाओं का लाभ ले सकेंगे ।

जयपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के निवर्तमान महासचिव एवं पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अन्तर्राष्ट्रीय भीम सेना राजस्थान दिनेश जाटोलिया ने राज्य चर्म शिल्प कला विकास बोर्ड गठन की मंजूरी देने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही राज्य चर्म शिल्प कला विकास बोर्ड गठन करने पर उधोग मंत्री शकुन्तला रावत एवं प्रशासनिक अधिकारी रतन लाल अटल का भी आभार व्यक्त किया है l पांच वर्ष पूर्व राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष विकेश खोलिया ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पत्र प्रेषित कर राजस्थान चर्मकार बोर्ड की स्थापना करवाने का आग्रह किया था ।

भूतकाल में जो हुआ वो हुआ । कल जो हुआ वो हुआ । उसे बदलना हमारे हाथ में नहीं था, पर हम चाहें तो हमारा वर्तमान सुधार सकते है । यह युग धार्मिक से ज्यादा आर्थिक आधार पर संचालित होता है । इस युग में जिसके पास पैसा है वही सवर्ण है, और जिसके पास नही है वे शुद्र व अति शुद्र हैं । अपने आर्थिक ढांचे को बचाने का प्रयास कीजिये, वैश्वीकरण के इस युग में हमे अपनी सारी दरिद्रता को उखाड़ फेकने पर जोर देना चाहिए l  इस आर्थिक युग में स्वयं और समाज को मजबूत बना कर स्थापित करने का प्रयास कीजिये ।

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