Monday 05 May 2025 9:29 PM
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समाज और साहित्य

बाबू लाल बारोलिया, अजमेर

यह कहना अनुचित न होगा कि समाज और साहित्य एक सिक्के के दो पहलू हैं। समाज अनुभवों की एक व्यापक उर्वरक भूमि है, जहाँ से साहित्य को सामग्री मिलती है। उस सामग्री का सदुपयोग श्रेष्ठ साहित्यकार ही कर पाता है। वह अपनी कल्पना शक्ति के माध्यम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक आदर्श समाज की परिकल्पना करता है।

आज का साहित्य समाज में, आशा की किरणें जगाने में असमर्थ-सा हो गया है जो निश्चित रूप से चिंता का विषय है, तो दूसरी ओर सामाजिक जीवन में साहित्यकार कोई हलचल पैदा करना चाहे तो वह तभी कर पाता है, जब उसकी रचनाओं को रुचिपूर्वक पढ़ने वाला भी हो, अन्यथा उसकी सिद्धांतनिष्ठा, समाजनिष्ठा कितनी ही प्रबल क्यों न हो और सार्वजनिक जीवन के सम्बन्ध में उसकी जानकारी कितनी ही अच्छी क्यों न हो, उसके साहित्य को सूंघने वाला कोई न हुआ तो उसके ‘साहित्य रूपी अस्त्र’ में जंग ही लगता रहेगा।

 साहित्य तथा समाज का सम्बन्ध अटूट है। यदि साहित्य समाज की उपेक्षा करके कालजयी नहीं बन सकता तो किसी भी समाज को सही दिशा देने में तत्कालीन साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान भी रहता है। कहना न होगा कि साहित्य की संवेदना समाज की संवेदना होती है। किसी भी समाज की उन्नति-अवनति, परम्पराएँ, गुण-दोष साहित्य में मुखरित होते हैं। समाज में नित्यप्रति घटित होने वाली घटनाओं और उनकी संस्कृति को साहित्यकार अपनी लेखनी द्वारा साकार करता है। साहित्य में किसी भी समाज की परम्पराओं, रीति-रिवाजों, संघर्षों नियमों को लिखित रूप में देखा जा सकता है। एक सजग साहित्यकार समाज में घटित परम्पराओं, विचारों को अनुभूत करके शब्दों के माध्यम से वर्णित करता है। इस रूप में साहित्य समाज का प्रतिबिम्ब ही प्रस्तुत नहीं करता वरन् उसके भविष्य की दिशा एवं दशा की ओर भी संकेत करता है। अगर दो शब्दों में कहा जाय तो साहित्य समाज का दर्पण होता है कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

हमारे समाज में भी वर्तमान दौर में ऐसे अनेक साहित्यकार है, जो अपनी लेखनी से सुषुप्तावस्था में जी रहे समाज को जगाने हेतु प्रयासरत है लेकिन उनके साहित्य को पढ़ने वाले नगण्य लोग है अतः समाज हित में साहित्य के माध्यम से समाज में क्रांति विकसित करने के लिए समाज के गुमनाम गलियों में सोए हुए साहित्यकारों को प्रोत्साहित कर  निःस्वार्थ भाव से एक स्वच्छ और पारदर्शी मंच प्रदान किया जाना चाहिए। 

(डिस्क्लेमर: उपरोक्त लेख में लेखक के निजी विचार है,लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है, इसके लिए समाजहित एक्सप्रेस उत्तरदायी नहीं हैl)

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