सामाजिक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम एडवोकेट दलित युगल ममता मेघवंशी और कृष्ण वर्मा की शादी
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की माण्डल तहसील के सिडियास गांव के अम्बेडकर भवन में गत 18 मार्च को प्रसिद्द दलित सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी की बेटी एडवोकेट ममता मेघवंशी और कृष्ण वर्मा की शादी प्रेम, करुणा, स्नेह और उदारता तथा न्याय व समानता और पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ सम्पन्न हुई l इस शादी में दूल्हा और दुल्हन संविधान को साक्षी मानकर सात कदम साथ चल कर संविधान पर आधारित सात संकल्प लिए l इसलिए इस शादी को सामाजिक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है l
प्राप्त जानकारी के मुताबिक राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के सुदूर सिडियास गांव के अम्बेडकर भवन में बीते सोमवार को हुए प्रसिद्द दलित सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी की बेटी एडवोकेट ममता मेघवंशी और कृष्ण वर्मा की शादी के आयोजन में न फेरे लिये गए, न रस्में अदा हुईं और न ही कोई शुभ मुहूर्त देखा गया… इस अनोखी शादी की चर्चा हर जगह है, जो संविधान को साक्षी मानकर हुई l राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की माण्डल तहसील के सिडियास गांव के अम्बेडकर भवन में दलित युगल एडवोकेट ममता मेघवंशी और कृष्ण वर्मा ने बीते सोमवार को एक दूसरे को पति-पत्नी स्वीकार किया ।
विवाह स्थल का दृश्य :
एक ऊंचा आकर्षक मंच सजा है । मंच पर एक ओर रखी मेज पर महत्मा बुद्ध,अंबेडकर और संविधान के आमुख के चित्र सजे हैं । पीछे एक वृहदाकार बैकड्रॉप है, जिसमें गौतम बुद्ध, कबीरदास, रैदास, महात्मा गांधी, भगतसिंह, सावित्री बाई फुले, फातिमा शेख,ज्योतिबा फुले तथा संविधान की प्रस्तावना के चित्र हैं ।
आपको यह मंच किसी समतावादी/ प्रगतिशील आयोजन का मंच लग सकता है । लेकिन मंच पर दृश्य परिवर्तन है । मंच पर श्वेत आकर्षक साड़ी में सुंदर युवती बैठी है और उसके सामने सुकुमार युवक क्रीम कलर के कुर्ते में विद्यमान है । उन दोनों के बीच में एक सजी हुई मटकी है ।
आपको बता दें कि यह अद्भुत दृश्य ममता और कृष्णकुमार के अपार जन समूह की उपस्थिति में संविधान को साक्षी मानते हुए सहजीवन को प्रारंभ करने का दृश्य है । ममता जाने माने दलित चिंतक, लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी की पुत्री हैं और उनके जीवनसाथी कृष्णकुमार आपसी सहमति से एक आदर्श विवाह करने को उपस्थित हैं ।
कुछ क्षण बाद मंच पर बौद्ध भिक्षुक प्रकट होते हैं और वे दोनों युवक युवती को भावी सहजीवन हेतु शुभेच्छा प्रेषित करते हैं । देश के विभिन्न भागों से आए सामाजिक कार्यकर्ता उन्हें सहजीवन में पालन करने हेतु आदर्श शपथ दिलवाते हैं । संकल्प करानेवालों में कांग्रेस की पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन, राजीव गांधी फाउंडेशन से जुड़े प्रसिद्ध समाजवादी विजय प्रताप, राजस्थान सरकार के पूर्व राजस्व मंत्री रामलाल जाट, पीयूसीएल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव, जन-जागरण शक्ति संगठन (अररिया, बिहार) की सह-संस्थापक कामायनी स्वामी, दलित महिला अधिकार मंच से जुड़ी सुमन देवठिया, महिला अधिकार कार्यकर्ता भंवरी देवी, सेवानिवृत्त आईजी सत्यवीर सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश मीणा, सिस्टर गीता कैरोल, तारा आहलुवालिया और विद्याभूषण रावत शामिल थे । उनके संकल्पों में वे सब संकल्प हैं जो एक सच्चे समाज की बुनियाद देने वाले हमारे संविधान के अंग ही नहीं हैं, मानवता की रक्षा के मार्ग हैं । इस आयोजन के दौरान पारस बंजारा ने राजस्थानी भाषा में कबीर के पदों पर आधारित एक गीत भी सुनाया ।
यह विवाह संस्कार समाज में नई चमक पैदा करने के लिए सदा याद किया जाएगा । कानफोडू डी जे, वैभवशाली खान पान, पर्यावरणनाशी अन्यान्य गतिविधियों का विपर्यय रचते हुए, शांत वातावरण में स्नेहिल शुभकामनाओं से रचे हुए हृदयों के बीच जीवन में एक दूसरे की ही नहीं पूरे समाज के लिए आदर्श दंपती बनने के भाव लिए ममता और कृष्णकुमार का सहजीवन प्रारंभ करने का यह अभूतपूर्व निश्चय एक नई पहल है ।
क्या है इस तरह शादी के पीछे सोच?
लेखक व सामजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने बताया कि मेरी बेटी की शादी दहेज, प्रदूषण, परंपरा रहित है l सामान्यता शादियों में मुहूर्त निकाला जाता है, लगन लिखे जाते हैं । हल्दी, चंदन व मेहंदी की रस्म होती है l आजकल प्री वेडिंग शूट भी होता है l बारात आती है, दूल्हा तलवार से तोरण मारता है, फिर उसके बाद फेरे होते हैं । देवी-देवताओं के यहां जाकर प्रणाम या नमन करने की परंपरा है l दहेज का प्रदर्शन कर विदाई होती है l मेरी बेटी की शादी में ऐसा कुछ नहीं हुआ l
मेघवंशी ने आगे कहा- “बात यहीं नहीं रुकती, दुल्हा घोड़ी पर बैठकर बिंदोली निकालता है l तेज आवाज में डीजे साउंड बजाते हैं l इस शादी में डीजे साउंड सिस्टम से बचा गया l क्योंकि इन दिनों एक तो परीक्षाएं चल रही हैं l दूसरा लोगों के स्वास्थ्य को लेकर भी साउंड सिस्टम खतरनाक हो सकता है l यह विवाह विशेष अधिनियम के तहत हुआ, इसे कानूनी शादी भी कह सकते हैं l”
कौन से हैं वो सात संकल्प ?
इस शादी में दुल्हा-दुल्हन एक कदम पर एक संकल्प लेंगे। इसी तरह सात कदम साथ चलकर सात संकल्प लेंगे। दुल्हा-दुल्हन पहले कदम पर संकल्प लेंगे-‘आज हम अपने परिजनों व प्रियजनों के समक्ष भारत के संविधान को साक्षी मानकर यह संकल्प लेते हैं कि आज से हम परस्पर एक दूसरे के जीवन के पूरक के रूप में सहभागी होंगे।’
दूसरे कदम पर- ‘हम संकल्प लेते हैं कि हमारी यह सहभागिता आपसी विश्वास और बराबरी पर आधारित होगी। हम एक दूसरे के व्यक्तित्व का मैत्री भाव से सम्मान करते हुए जीवन विकास की दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।’
तीसरे कदम पर- ‘हम संकल्प लेते हैं अपने सह जीवन के समस्त दायित्वों का निर्वाह पूर्ण निष्ठा से करेंगे। हमारा सहभागी जीवन देश, दुनिया और समाज की बेहतरी के लिए समर्पित रहेगा। हम संकल्प लेते हैं हमारा आचरण भारत के संविधान के सार्वजनिक मूल्यों, न्याय, समानता, स्वतंत्रता व बंधुत्व के अनुरूप होगा। हम एक दूसरे को पूरा मान सम्मान प्रतिष्ठा व गरिमा देंगे।’
चौथे कदम पर- ‘हम संकल्प लेते हैं सुस्नेह, सद्भाव, मैत्री व सहयोग के भाव से धरती के सभी प्राणियों, प्रकृति, पर्यावरण व परिस्थिति का संरक्षण व संवर्धन व सम्मान करेंगे। तथा समस्त जीव जंतुओं, पशु पक्षियों, नदियों, तालाबों, पर्वतों, समुद्रों के प्रति मैत्री भाव रखेंगे।’
पाचवां कदम पर – ‘हम संकल्प लेते हैं जीवन में कठिन परिस्थितियों, नकारात्मकता, निराशा व संघर्ष के क्षणों का हम पूर्ण धेर्य, करुणा, उदारता व समझदारी के साथ सामना करेंगे। एक दूसरे का संबल बनेंगे।’
छठे कदम पर -‘हम संकल्प लेते हैं समय के साथ अगर हमारे रिश्तों में कोई बदलाव आया तो भी हम एक दूसरे का सम्मान करेंगे। एक साथ बिताए समय को मैत्री, सद्भाव व संतुष्टि से देखेंगे। किसी भी परिस्थिति से निकलने में एक दूसरे की मदद करेंगे।’
सातवें कदम पर- ‘हम संकल्प लेते हैं हम तथागथ गौतम बुद्ध, संत कबीर, रामसा पीर, ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई, फातिमा शेख, बाबा साहब अंबेडकर, भगत सिंह, और महात्मा गांधी जैसे हमारे पुरखों व पुरखिनों की प्रेरणा अपने पूर्वजों व प्रकृति के संबल से आप सब की उपस्थिति में यह संकल्प लेते हैं।’
दुल्हन ममता मेघवंशी ने कहा कि यह संकल्प संवैधानिक मूल्यों पर आधारित है, बराबरी, आपसी विश्वास, एक दूसरे को इज्जत व गरिमा देने पर आधारित है, इसमें लिंग व उम्र के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है, यह समाज में सांस्कृतिक बदलाव है l
ममता ने आगे कहा- “हमने फेरे के बजाय हर कदम पर संकल्प लेने की बात कही है l हम ऐसा करके किसी का विरोध नहीं कर रहे है, बल्कि अपनी नई दुनिया की संस्कृति रच रहे हैं, इस दुनिया में सबके लिए जगह है l”
वहीं एवोकेट कृषण वर्मा ने कहा कि मेरा सपना था कि में आडंबरवाद से अलग हट कर शादी करूं, इसके लिए मेरे परिवार ने सपोर्ट किया l दुल्हन का परिवार संवैधानिक मूल्यों को मानता है l इसलिए हमने विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी करने का निर्णय लिया l हम शिक्षित होंगे तो आडंबर से बाहर निकल कर संविधान के दायरे में जीवन यापन के तौर-तरीके सीखेंगे l शादी में पैसा खर्च करना अमीरों का शौक बन गया है, गरीब भी इनकी होड कर बर्बाद हो रहा है, गरीब भी सादगी से शादी कर बर्बादी से बच सकते हैं l इसलिए हमने इस तरह शादी करने का निर्णय लिया है l दो लोग सहमति से साथ निभाना चाहते हैं । यह शादी का मतलब है ।
शादी से समाज को संदेश?
लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी कहते हैं कि किसी धार्मिक आडंबर या पारलौकिक ताकतों से डरकर के जीवन जीने की जरूरत नहीं है l यह आपके जीवन का निर्णय है, अपनी समझदारी से लेवें l संविधान को जिंदगी में सर्वोपरि माना जाए l इस शादी के पीछे यह भाव है l आज संविधान पर खतरा है l जिन्हें संविधान ने इंसान का दर्जा दिया, उन्हें संविधान का मूल्य समझना चाहिए l कानून का समाज बने l बिना दहेज किए परंपरा रहित संविधान के संकल्प के साथ जीवन में एक साथ रहने की शुरुआत करें l भारत का संविधान यह इजाजत देता है l