डॉ. महिमा सिंह को शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु किरन सुपर आयरन आइडल लेडी इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया l
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l दक्षिण भारत के कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरु में गोपाल किरन समाजसेवी संस्था, ग्वालियर की ओर से आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह मे शिक्षा,सेवा एवं खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को सम्मान पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया । इस समारोह में डाक्टर महिमा सिंह को भी शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए किरन सुपर आयरन आइडल लेडी इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया l
डाक्टर महिमा सिंह लखनऊ की पली बढ़ी IT कॉलेज से स्नातक, कानपुर विश्वविद्यालय से परास्नातक (भूगोल एवं अंग्रेजी साहित्य में) एवं भूगोल मे Ph.D हैं । डाक्टर इन्होंने अपने अथक परिश्रम से अर्जित किया है एवं महिमा के पिता श्री दिवाकर पाण्डेय एवं माता श्रीमती दुर्गा पाण्डेय जी के आशीर्वाद स्वरूप है ऐसा महिमा जी का मानना है । इनका अवतरण दिवस 11 जनवरी है । इनका जन्म देवरिया में हुआ था ।
जीवन साथी श्रीमान आदित्य प्रताप सिंह का हर कदम पर प्रतिपल साथ एवं सहयोग प्राप्त होता रहता है । पुत्री आदिति एवं पुत्र आरव प्रताप सिंह दो प्यारे बच्चे हैं ।
अनेकों संगोष्ठी में प्रतिभागिता और सामाजिक रूप से सक्रिय व्यक्तित्व की महिला हैं, जो कि कई सामाजिक कार्य से जुड़ी हुई हैं । केयर फार नेचर र्ऑर्गेनाइजेशन की फाउंडर मेंबर भी है ।
अनेको एकल काव्य पाठ, अनेकों गोष्ठियों का संचालन, विभिन्न गोष्ठियों में भाग ले चुकी है और लेती रहती है । फेसबुक लाइव पेज पर बातें तेरे मेरे मन की, आओ बच्चों कविता पढ़ें, साहित्य के भागीरथी नामक कार्यक्रम का संयोजन और संचालन भी करती है ।
अनेकों मंचों से सम्मान पत्र भी प्राप्त कर चुकी है । बिहाइंड द डोर, मेरे प्रिय पापा, चांद मेरी मुट्ठी में नामक पुस्तकें प्रगति पर है ।
एकल काव्य संग्रह “भावमिहिका शब्द मेरे मीत” प्रकाशित हो चुका है । लगभग 50 से 55 सांझा संकलन में भाग ले चुकी है।
उन्हें अपने पति के स्थांतरित होने वाले कार्यशैली से बहुत प्रसन्नता है जो कि मैने बहुत ही कम लोगों से सुना है । उसका कारण है डॉ महिमा को भ्रमण का शौक है और वह नये जगह के आस पास के प्रकृति और इतिहास को घूमकर समझ पाती हैं, और उससे कुछ न कुछ सीखती रहती हैं । उनके दो प्यारे प्यारे बच्चे हैं और वह हिंदुस्तान को पूर्णतया देखना चाहती हैं । उन्हें कविता लिखने का शौक बचपन से ही था, जो कि किताबें पढ़ने की रुचि के कारण और बढ़ता गया । वह एक कुशल गृहणी हैं और बहुत ही साफ दिल की हैं जो उनके व्यक्तित्व और आस पास सदा घिरे हुए परिवार एवं दोस्तों से दिखता रहता है । वह जमीन से जुड़े रहना चाहती हैं और जहाँ तक हो सके किसी को उनसे दुःख न पहुँचे बस यही उनका प्रयास रहता है ।
22 का भारत वर्ष अटल रत्न सम्मान से उन्हें सम्मानित किया गया है और भी अनेकों सम्मान प्राप्त कर चुकी है । हिंद शिरोमणि सम्मान भव्या फाउंडेशन, जयपुर, सृजनोत्सव सम्मान नर्मदा प्रकाशन, हिंद साहित्य शिरोमणि सम्मान जयपुर राजस्थान, साहित्य गौरव सम्मान बुलंदी साहित्यिक सेवा समिति, एवं साहित्य रेखा संस्थान, साहित्य संगम संस्थान नामक मंचों से एवं अन्य क ई अनेकों समृद्धि शाली मंचों से अनेकों सम्मान प्राप्त कर चुकी हैं ।