Sunday 08 December 2024 11:55 AM
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सामाजिक विकास एवं बदलाव की अवधारणा

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस l

परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है । संसार में हर एक चीज परिवर्तित होती रहती है, जैसे समय, समय की स्थिति, समाज, ऋतुएँ, जीव एवं उनका व्यवहार, सोच एवं सिद्धांत, जीवित और निर्जीव हर एक वस्तु आदि आदि । अब प्रश्न यह उठता है कि क्या परिवर्तन ही विकास है या विकास की ओर बढाया हुआ एक कदम है । अपने चारो तरफ अगर ध्यान से रिसर्च किया जाये तो हम पायेंगे कि हर एक क्षण कुछ न कुछ परिवर्तित होकर कुछ नवीन हो रहा है । क्या नवीनता और परिवर्तन एक ही चीज है । यह कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो हमेशा से हरएक व्यक्ति के मन और मस्तिष्क को झकझोरते रहते हैं । लेकिन यहाँ पर श्रीगंगानगर से वरिष्ठ समाजसेवी सुरेश कुमार कनवाड़िया ने सामाजिक विकास और बदलाव की नयी सोच के बारे में अपने कुछ विचार आपके समक्ष व्यक्त किये है, जो इस प्रकार है l

सुरेश कुमार कनवाड़ियाश्रीगंगानगर

वर्तमान में समाज के विकास का तात्पर्य निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित है:-

1. सामाजिक समस्याएं, भेदभाव, अत्याचार, गरीबी व जीवन यापन की मुश्किलें कम होने का नाम विकास है ।

2. समाज के दो चार या दस लोग या परिवार संभल जाते हैं या रहन-सहन ठीक-ठाक हो जाता है, उसे विकास नहीं कह सकते । जिस बात का असर समाज में अमीर आदमी पर पड़ता है, उसी बात का असर गरीब आदमी पर भी उतना ही पड़ता है तो उसे विकास कहते हैं । जो सुविधा मूलभूत आवश्यकता के रूप में समाज के हर वर्ग के हर व्यक्ति तक पहुंचे, वहीं विकास है ।

3. जो अधिकार आर्थिक रूप से मजबूत, पद, प्रतिष्ठा वाले लोगों को मिले, वही अधिकार जब कमजोर आदमी भी महसूस करे तो उसे विकास कहते हैं ।

सामाजिक बदलाव निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर समझा जा सकता है:-

1. समाज में वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप जो हम बनना चाहते हैं, अपनी वर्तमान परंपराओं, रिवाजों और सोच को छोड़कर नई परंपराओं को अपनाना और उसके अनुसार स्वयं को बदलना ही सामाजिक बदलाव होता है । ऐसा निर्णय दो चार लोगों द्वारा नहीं बल्कि सामूहिक रूप से लिया जाना चाहिए, तभी बदलाव सार्थक हो सकता है ।

2. समाज में लोगों के आपसी व्यवहार, रीति-रिवाजों एवं रहन-सहन में बदलाव जरूरी है , जो कि उस समाज के विकास में सहायक हो ।  बदलाव वह है जो एक परिवेश के लोगों को अन्य परिवेश के लोगों के साथ समानता के आधार पर व्यवहार , सम्मान और स्वेच्छा से जीवन जीने का अधिकार है ।

3. मेरे विकास से समाज के अन्य लोगों के जीवन में कुछ बदलाव आया हो तो मैं कह सकता हूं कि विकास हुआ है । भारतीय संदर्भ में यही हमारे सामाजिक बदलाव की परिभाषा हो सकती है ।

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