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साहित्यकार व लेखक-संपादक समाजसेवी जीवनराम गुसांईवाल जी का जीवन परिचय

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस

जीवनराम गुसांईवाल जी का जन्‍म 08 सितम्‍बर 1930 में श्री नानक राम गुसांईवाल ग्राम भावपुरा जिला जयपुर (राजस्‍थान) निवासी के यहां माता भूरी देवी के गर्भ से हुआ था । सन् 1940 में सतगुरू स्‍वामी जीवाराम जी ग्राम भावपुरा निवासी से गुरू दीक्षा (लाहोर, पाकिस्‍तान) में प्राप्‍त की थी । शिक्षा-हिन्‍दी में बी.ए. प्रभाकर तथा साहित्‍य रत्‍न की उपाधि से सन् 1950 में अलंकृत किये गए । सन् 1955 से पुस्‍तक लेखन तथा सम्‍पादन का कार्य 65, रैगरपुरा करोल बाग दिल्‍ली में प्रारम्‍भ किया गया ।

05-09-1958 से श्री रामजन मण्‍डल 65, रैगरपुरा दिल्‍ली-5 द्वारा प्रसारित पुस्‍तकें देहाती पुस्‍तक भण्‍डार, चावड़ी बाजार, दिल्‍ली-6 से प्रकाकिशत होना प्रारम्‍भ हुई तथा प्रकाशित पुस्‍तकों का भारतीय कापी राईट एक्‍ट सन् 1957 के अधीन भारत सरकार द्वारा रजिस्‍ट्रेशन कराया गया ।

15-08-1965 को दिल्‍ली में ‘श्री रामजन मण्‍डल’ के प्रथम चुनाव में जीवन राम गुसांईवाल को रामजन प्रकाशन का मुख्‍य सम्‍पादक नियुक्‍त किया गया ।

सन् 1968 में सन्‍त पीताम्‍बर दास समाधि स्‍थल, ग्राम फागी जिला जयपुर (राजस्‍थान) में गुसांई बाबा स्‍मारक निधि (संस्‍था) की स्‍थापना की थी, यहां सन्‍त पीताम्‍बर दास जी की प्राचीन समाधि बनी हुई प्रत्‍यक्ष-प्रमाण है ।

03-06-1981 में श्री कालू राम आर्य के सम्‍पादन में जयपुर से प्रकाशित रैगर प्रगतिशील पत्रिका तथा राजस्‍थान सम्राट समाचार पत्र के सह सम्‍पादक नियुक्‍त किए गए ।

23-03-1986 को श्री विष्‍णु मन्दिर 18, रैगरपुरा, दिल्‍ली में आयोजित बैठक में जीवनराम गुसांईवाल द्वारा रैगर युवा प्र‍गतिशील संगठन (संस्‍था) की स्‍थापना की गई ।

01-04-1986 को श्री जीवन राम गुसांईवाल द्वारा लिखित रैगर महासभा दिल्‍ली प्रदेश का विधान समाज को समर्पित किया गया ।

27-09-1986 को नई दिल्‍ली के विज्ञान भवन में आयोजित सम्‍मेलन में धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक तथा शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्‍ट योगदान के लिए भारत के राष्‍ट्रपति श्री ज्ञानीजैल सिंह जी द्वारा अलंकृत किय गए ।

07-10-1995 को रैगरपुरा करोल बाग दिल्‍ली में आयोजित स्‍वामी ज्ञान स्‍वरूप जन्‍म शताब्‍दी समारोह में अखिल भारतीय रैगर महासभा के पंचम राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष श्री धर्मदास शास्‍त्री द्वारा सम्‍मानित किए गए ।

इन्‍होंने रैगर समाज को गौरव, गरिमा और ऊचाईयाँ प्रदान की । 30-10-2004 को श्री जीवनराम गुसार्इंवाल जी का निधन सी 562 CAMP नम्‍बर 2 नॉगलोई दिल्‍ली 41 में हुआ । रैगर समाज के ऐसे समाजसेवी का नाम रैगर जाति के इतिहास में सदा के लिए अमर रहेगा ।

श्री जीवनराम जी गुसांईवाल द्वारा लिखित पुस्‍तके-

(1). ब्रहम ज्ञान भक्ति प्रकाश (सचित्र) (2). सन्‍त वाणी विलास भजन संग्रह (3). अनुभव प्रकाश (4). आयुर्वेदिक चिकित्‍सा पद्धति (5). सन्‍यासी चिकित्‍सा शास्‍त् (6). प्राचीन वंश प्रदीप (7). प्राचीन रैगर इतिहास (8). प्राचीन गौत्र वंशावली (9). विधान (रैगर महासभा, दिल्‍ली प्रदेश) (10). संत पीताम्‍बर दास चरित्र (11). स्‍वामी जीवाराम चरित्र (12). स्‍वामी ज्ञानस्‍वरूप चरित्र (13). स्‍वामी आत्‍माराम लक्ष्‍य चरित्र आदि l

(साभार- रैगर समाज डॉट कॉम)

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