बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर वर्चुअल परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (हरीश सुवासिया) l त्रिविध पावनी बुद्ध पूर्णिमा के अवसर भारतीय दलित साहित्य अकादमी जिला शाखा पाली के तत्वावधान में ओनलाइन परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। ख्याति प्राप्त लेखक एवं बौद्ध विचारक डॉ० एम एल परिहार करणवा हाल जयपुर मुख्य आतिथी एवं वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर डॉ. भगवानलाल पारंगी बाली अध्यक्ष और विशिष्ट अतिथि मास्टर भोमाराम बोस प्रदेश महामंत्री, कल्याणपुर बाडमेर बैठक में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का आगाज हरीश सुवासिया लेखक एवं साहित्यकार ने बुद्ध धम्म का परिचय,चार आर्य सत्य, पंचशील एवं अष्टांगिक मार्ग, कर्मवाद और बुद्ध की प्रासंगिकता के बारे में जानकारी देकर किया।आरंभ में कपूराराम मेघसेतु कुमटिया ने मधुर स्वर में स्वरचित बुद्ध वंदना पेश की। शोधार्थी तेजाराम परिहार ने बुद्ध दर्शन पर विचार व्यक्त करते हुए आडम्बर एवं पाखंडवाद से परहेज करने का आह्वान किया। देहरादून के तीन दिवसीय बुद्ध पूर्णिमा कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे ख्यातनाम लेखक एवं बौद्ध विचारक डॉ० एम. एल. परिहार ने विस्तृत उदबोधन में बुद्ध धम्म के प्राचीन महत्व,विपश्यना और बुद्ध दर्शन की वैश्विक व्यापकता पर गहन प्रकाश डाला।डॉ.परिहार ने अनुसूचित जाति जनजाति समाज में जारी आडंबरो,पाखंडवाद, कुरीतियों और कर्मकांडों के कारण होती दुर्दशा पर खेद व्यक्त किया। उन्होने तर्कवादी सोच के विकास के साथ अपने क्षेत्र में बुद्ध के विचारो का प्रचार -प्रसार करने की महत्ती जरुरत पर जोर दिया। चालीस मिनट से अधिक के उदबोधन में उन्होंने ठेठ देशी अंदाज में अपनी जन्मभूमि, पारिवारिक परिवेश ,संघर्ष की चुनौतियो से लेकर श्रीलंका,थाइलैंड,वियतनाम आदि बुद्धिष्ट देशों की यात्रा के अनुभव रोचक अंदाज में साझा किये ।
डॉ० मोहनलाल सोनल ‘मनहंस’ जिलाध्यक्ष दलित साहित्य अकादमी शाखा पाली ने मधुर स्वर में अपनी रचना ‘बुद्धमय त्रिरत्न’ प्रस्तुत की। डॉ० अर्जुनलाल रामावास जैतारण ने राजस्थानी भाषा में शानदार रचना पेश की। मास्टर भोमाराम जी बोस ने डॉ. परिहार साहब को बुद्ध पूर्णिमा पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी। डॉ० भगवानलाल ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में आशुकविता से सभी मंचासीन आदरणीयों, साहित्यकारों का सम्मान बढाया। डॉ. एम. एल. परिहार साहब से वार्तालाप करते हुए अफगानिस्तान और ईरान में बुद्ध के चिन्ह मिलने पर जिज्ञासा जाहिर करते हुए वहाँ बुद्ध की मूर्तिया तोडने आदि के प्रतिफल में वहाँ पैदा राजनैतिक विषमता पर चर्चा की। डॉ० पारंगी ने कार्यक्रम से दस संकल्प लेकर जीवन में पालन करने की सीख दी। काव्य गोष्ठी का ओजस्वी और आरोह- अवरोह भाषा शैली में सुंदर,सफल संचालन लेखक, साहित्यकार और व्याख्याता हरीश सुवासिया ने किया !
इस परिचर्चा में जिलेभर से श्री वक्ताराम बामणिया भाटूंद,श्रीमती उषाजी राय, संजयजी, भेरारामजी, केशारामजी ने कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति दी।
डॉ० मोहनलाल सोनल ने-
‘एक और बुद्ध आने चाहिए
बचाने संसार, कम करने,
कुंद करने साम्राज्यवाद की धार l
कविता पेश कर कार्यक्रम से जुड़े महाऩुभावों को आभार ज्ञापित कर गोष्ठी का समापन किया।