Saturday 19 April 2025 12:20 AM
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रैगर समाज साहित्य विचार गोष्ठी

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l किसी भी देश व समाज की पहचान उसके साहित्य से होती है अर्थात जब अज्ञानता का अंधकार हो तो उस समय मशाल रूपी साहित्य ही ज्ञान की दिशा प्रदान करता है l साहित्य ही देश और समाज का गौरव बढाता है l कवि, लेखक, कलाकार और पत्रकार साहित्य को संबल प्रदान करते है l

बाबूलाल बारोलिया, अजमेर

यह कहना अनुचित न होगा कि साहित्य और समाज एक सिक्के के दो पहलू हैं। समाज अनुभवों की एक व्यापक उर्वरक भूमि है, जहाँ से साहित्य को सामग्री मिलती है। उस सामग्री का सदुपयोग श्रेष्ठ साहित्यकार ही कर पाता है। वह अपनी कल्पना शक्ति के माध्यम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक आदर्श समाज की परिकल्पना करता है।

आज का साहित्य समाज में, आशा की किरणें जगाने में असमर्थ-सा हो गया है जो निश्चित रूप से चिंता का विषय है, तो दूसरी ओर सामाजिक जीवन में साहित्यकार कोई हलचल पैदा करना चाहे तो वह तभी कर पाता है, जब उसकी रचनाओं को रुचिपूर्वक पढ़ने वाला भी हो, अन्यथा उसकी सिद्धांतनिष्ठा, समाजनिष्ठा कितनी ही प्रबल क्यों न हो और सार्वजनिक जीवन के सम्बन्ध में उसकी जानकारी कितनी ही अच्छी क्यों न हो, उसके साहित्य को सूंघने वाला कोई न हुआ तो उसके ‘अस्त्र’ में जंग ही लगता रहेगा।

साहित्य तथा समाज का सम्बन्ध अटूट. है। यदि साहित्य समाज की उपेक्षा करके कालजयी नहीं बन सकता तो किसी भी समाज को सही दिशा देने में तत्कालीन साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान भी रहता है। कहना न होगा कि साहित्य की संवेदना समाज की संवेदना होती है। किसी भी समाज की उन्नति-अवनति, परम्पराएँ, गुण-दोष साहित्य में मुखरित होते हैं। समाज में नित्यप्रति घटित होने वाली घटनाओं और उनकी संस्कृति को साहित्यकर अपनी लेखनी द्वारा साकार करता है। साहित्य में किसी भी समाज की परम्पराओं, रीति-रिवाजों, संघर्षों नियमों को लिखित रूप में देखा जा सकता है। एक सजग साहित्यकार समाज में घटित परम्पराओं, विचारों को अनुभूत करके शब्दों के माध्यम से वर्णित करता है। इस रूप में साहित्य समाज का प्रतिबिम्ब ही प्रस्तुत नहीं करता वरन् उसके भविष्य की दिशा एवं दशा की ओर भी संकेत करता है। अगर दो शब्दों में कहा जाय तो साहित्य समाज का दर्पण होता है

हमारे समाज में भी वर्तमान दौर में ऐसे अनेक साहित्यकार है, जो अपनी लेखनी से सुषुप्तावस्था में जी रहे समाज को जगाने हेतु प्रयासरत है लेकिन उनके साहित्य को पढ़ने वाले नगण्य लोग है अतः समाज हित में साहित्य के माध्यम से समाज में क्रांति विकसित करने के लिए कुछ प्रबुद्धजनों ने 14 मई 2023 को रेगर छात्रावास जयपुर में एक विचार गोष्ठी का आयोजन करने का निर्णय लिया है, जिसकी अध्यक्षता श्रीमान टी. आर. वर्मा जी करेंगे और  मुख्य अतिथि श्रीमान टीकमचंद जी बोहरा, आईएएस एवं साहित्यकार होंगे, अतः  साहित्यकार,लेखक, कवि, गीतकार आदि को इस विचार गोष्ठी में उपस्थित होने हेतु निवेदन किया जाता है। जिन साहित्यकारों की जानकारी है उनसे विचार गोष्ठी में भाग लेने हेतु दूरभाष पर व्यक्तिगत संपर्क किया जा रहा है और जिनके बारे में जानकारी का अभाव है वे कृपया इस मैसेज को निमंत्रण मानकर समाज हित में भाग लेने का कष्ट करें साथ ही अपने जान पहचान वाले सज्जनों को भी सूचित करते हुए साथ लाने कष्ट करें ताकि साहित्यकारों की इस विचार गोष्ठी को सफल बनाया जा सके।  उम्मीद है अपनी सामाजिक रचनाओं के साथ अवश्य दर्शनलाभ देंगे।

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