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वैशाख मास की बुद्ध पूर्णिमा lबुद्ध पूर्णिमा का महत्व व इतिहास

संकलनकर्ता : नारायण लाल बालोटिया जोधपुर

आज त्रिपावन बुद्ध पूर्णिमा है। आज के दिन तथागत गौत्तम बुद्ध (सिद्धार्थ) का जन्म हुआ था, और आज ही के दिन सिद्धार्थ को बुद्धत्व (ज्ञान) प्राप्त हुआ, तथा आज ही के दिन (बैसाख पूर्णिमा) के दिन ही तथागत गौत्तम बुद्ध का परिनिर्वाण हुआ।

इस प्रकार तथागत गौत्तम बुद्ध के जीवनकाल की जन्म, ज्ञान प्राप्ति और परिनिर्वाण आदि तीनों महत्वपूर्ण घटनाएं बैसाख पूर्णिमा के ही दिन घटित हुई। इसीलिए बैसाख पूर्णिमा को त्रिपावन बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं।
तथागत गौत्तम बुद्ध ने सभी मनुष्यों के कल्याण का मार्ग दिया।
तथागत गौत्तम बुद्ध किसी प्रकार के चमत्कार, पाखंड, आडंबर, अंधविश्वास, अंधश्रद्धा, आदि का खंडन करते थे।
बुद्ध हमेशा ज्ञान, विवेक, शील, सदाचार, निर्मल चित्त, ध्यान, जांच परखकर मानने में विश्वास करते थे और इन्हीं की शिक्षा देते थे।
तथागत गौत्तम बुद्ध हमेशा जो जैसा है वैसा मानने और प्रचारित करने की शिक्षा देते थे।
तथागत गौत्तम बुद्ध ने पांच शील (वर्जनाओं) के पालन की शिक्षा दी। वे पांच शील (वर्जनाएं) निम्न प्रकार है—-
1- प्राणी हिंसा नहीं करना ।
2- चोरी नहीं करना ।
3- व्यभिचार नहीं करना।
4- झूठ नहीं बोलना।
5- नशा नहीं करना और जुआ नहीं खेलना।
तथागत गौत्तम बुद्ध पराश्रय में विश्वास नहीं करते थे। इसलिए उन्होंने कहा अपने दीपक स्वयं बनो
तथागत गौत्तम बुद्ध किसी भी बात को मानने से पहले जांचने पर बल देते थे। इसीलिए उन्होंने कहा कि किसी बात को केवल निम्न परिस्थितियों के कारण नहीं मानना चाहिए कि ——
1- किसी बड़े ग्रंथ में लिखी है,
2- किसी बड़े व्यक्ति ने कही है,
3- बहुसंख्यक लोग मानते हैं,
4- हमारे अपने मानते आए हैं,
5- या कोई कह दे या लिख दिया हो कि यह बुद्ध ने कहा था।

तथागत कहते थे कि उपरोक्त परिस्थितियों के बावजूद भी किसी बात को अपने बुद्धि और विवेक से जांच परखकर ही मानना चाहिए।

आइए हम सब मिलकर अपने जीवन को श्रेष्ठ व दुःख रहित बनाने के लिए तथागत गौत्तम बुद्ध की शिक्षाओं को धारण करने उनको आचरण में लाने का संकल्प लें। सभी के सुख समृद्धि के लिए बुद्ध की शिक्षाओं को जन जन तक पहुंचाने का सद्कर्म करें। सभी के कल्याणकारी कार्य में भागीदारी करें।

सबका मंगल हो।
सबका कल्याण हो।

शील सागर फुलेरा।

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