दुष्ट प्रकृति के लोगो से सतर्क रहे ये विश्वास के काबिल नहीं होते
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस l
एक समय की बात है नदी में बाढ़ आ जाती है l चारो और पानी ही पानी भरा होता है वहां छोटे से टापू पर सीधा साधा एक चूहा भी रहता था l उस चूहे की नदी में रहने वाले एक कछुवे से मित्रता थी l जब चारो ओर पानी भर गया तो चूहा अपने बिल से बाहर आया और अपने मित्र कछुवे से बोला मित्र “क्या तुम मुझे नदी पार करा सकते हो ? मेरे बिल में पानी भर गया है l कछुवा राजी हो जाता है तथा चूहे को अपनी पीठ पर बैठा लेता है l
चूहे को कछुवे की पीठ पर बैठे देख वहां मौजूद बिच्छु जो पानी भर जाने के कारण परेशान हो रहा था l बिच्छु ने कछुवे से विनती की मुझे उस पार जाना है क्या आप मुझे अपनी पीठ पर बैठा कर उस पार किनारे पर छोड़ सकते हो ? चूहे ने कछुवे से कहा इसे मत बैठाओ ये जहरीला है ये मुझे काट लेगा । बिच्छु तभी समय की नजाकत को भांपकर बड़ी विनम्रता से कसम खाकर प्रेम प्रदर्शित करते हुए बोला है: कच्छुवे भाई कसम खाता हूँ मैं इसे नही काटूंगा बस मुझे भी अपने साथ ले चलो ।”
कछुवे ने बिच्छु की बात यकीन करते हुए उसे पीठ पर बैठा लिया l कछुआ चूहे और बिच्छू को पीठ पर बैठा कर तैरने लगता है । तभी बीच रास्ते मे कछुवा पानी के बहाव से थोडा हिलता है तो बिच्छु चूहे को काट लेता है । चूहा चिल्लाकर कछुए से बोलता है ”मित्र इसने मुझे काट लिया अब मैं नही बचूंगा ।” थोड़ी देर बाद उस बिच्छू ने कछुवे को भी डंक मार दिया । कछुवा मजबूर था जब तक किनारे पहुंचा चूहा मर चुका था l
किनारे पर कछुआ बोला “मैं तो इंसानियत के नाते मजबूर था इसलिये तुम्हे नदी के बीच मे नही डुबोया” मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया? बिच्छु कछुवे की पीठ से उतरकर जाते जाते बोला “मूर्ख तुम जानते नही मेरा तो धर्म ही है डंक मारना, चाहे कोई भी हो ।” गलती तुम्हारी है जो तुमने मुझ पर विश्वास किया ।।
सीख : मित्रों बिच्छू जैसी प्रकृति के लोगो पर रत्ती भर भी विश्वास मत करो । ऐसे लोग अपनी हरकत से बाज नहीं आते l आप ऐसे लोगो की चाहे जितनी भलाई करो इन्होने तो आपको डंक मारना ही है l सतर्क रहो ऐसे लोगो से ये विश्वास के काबिल नहीं होते l
पंचतंत्र की कहानियों के सौजन्य से संकलित एक कहानी